बॉलीवुड फिल्मों में हीरो की जीत और विलेन की हार को कहानी का परंपरागत हिस्सा माना जाता है। दर्शक हमेशा से जिस हीरो की बहादुरी, ताकत और अच्छाई देखते आए हैं, उसी के इर्द-गिर्द फिल्म की सफलता तय होती है। लेकिन हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई बार ऐसा भी हुआ है जब हीरो अपनी चमक खो बैठा और पूरी फिल्म पर विलेन का जलवा छा गया।
ये वो मौके थे जब दर्शकों ने फिल्मों को सिर्फ हीरो की वजह से नहीं बल्कि खलनायक की दमदार एक्टिंग के कारण याद किया। कालजयी संवाद, डर पैदा करने वाली निगाहें और कहानी में गहराई देने वाले किरदारों ने इन फिल्मों को ब्लॉकबस्टर बना दिया। दर्शक थिएटर से निकलते वक्त हीरो नहीं बल्कि विलेन की छवि लेकर लौ
भारत में कई ऐसे कलाकारों ने विलेन का रोल कर बड़ा नाम कमाया। आज हम उन 8 फिल्मों की बात करेंगे जहाँ विलेन ने हीरो पर भारी पड़कर फिल्म को न सिर्फ सफल बनाया बल्कि दर्शकों के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ दी।
1. शोले (1975) – गब्बर सिंह का खौफ
‘शोले’ को अब तक की सबसे यादगार फिल्मों में गिना जाता है। हालांकि फिल्म में धर्मेंद्र और अमिताभ जैसे हीरो थे, लेकिन अमजद खान द्वारा निभाया गया गब्बर सिंह का रोल पूरे सिनेमा पर छा गया।
गब्बर के डायलॉग जैसे “कितने आदमी थे” आज भी लोगों की जुबान पर हैं और उनकी खलनायकी ने दर्शकों को सिहरने पर मजबूर कर दिया। फिल्म की असली पहचान ही गब्बर सिंह बन गया।
2. डर (1993) – राहुल का जुनून
यश चोपड़ा की इस फिल्म में सनी देओल और जूही चावला हीरो-हीरोइन थे, लेकिन शाहरुख खान का निगेटिव रोल सबसे ज्यादा चर्चित रहा।
राहुल का जुनूनी प्रेम और उसका खौफ फिल्म की जान बन गया। फिल्म की सफलता ने शाहरुख को स्टार बना दिया और यह साबित कर दिया कि खलनायक भी दर्शकों का चहेता बन सकता है।
3. अग्निपथ (1990) – कांचा चीना
हालांकि फिल्म में अमिताभ बच्चन ने विजय दीनानाथ चौहान के रूप में दमदार किरदार निभाया, लेकिन डैनी डेंगजोंगपा का कांचा चीना लोगों को ज्यादा याद रह गया।
कांचा के क्रूर व्यक्तित्व और डायलॉग्स ने इस फिल्म को आइकॉनिक बना दिया। उस दौर के सबसे खतरनाक खलनायकों में कांचा चीना का नाम आज भी लिया जाता है।
4. बाजीगर (1993) – खलनायकी में हीरो
इस फिल्म ने नियम ही तोड़ दिए। शाहरुख खान ने यहां सीधे-सीधे नेगेटिव रोल निभाया और खलनायक होते हुए भी दर्शकों के चहेते बन गए।
शाहरुख का यह किरदार इतना प्रभावी था कि फिल्म जबरदस्त हिट हुई और आज भी इसे बॉलीवुड की क्लासिक थ्रिलर फिल्मों में गिना जाता है।
5. मिस्टर इंडिया (1987) – मोगैंबो खुश हुआ
अमरीश पुरी द्वारा निभाया गया मोगैंबो बॉलीवुड का सबसे पॉपुलर विलेन है। फिल्म में अनिल कपूर और श्रीदेवी हीरो-हीरोइन रहे, लेकिन असली स्टार मोगैंबो बना।
उसका मशहूर डायलॉग “मोगैंबो खुश हुआ” आज भी पॉप कल्चर का हिस्सा है और बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको याद है।
6. राम लक्ष्मण (1989) – दुर्जन सिंह
गुजूदार खलनायक के रूप में अमरीश पुरी का रोल फिल्म को ऊंचाई तक ले गया। जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर हीरो थे लेकिन अमरीश पुरी के दुर्जन सिंह ने दर्शकों में गहरी नफरत और खौफ जगाया।
यह फिल्म भी उनकी खलनायकी की वजह से सुपरहिट बनी।
7. खलनायक (1993) – बल्लू का जलवा
सुब्बा-लखन के बीच बड़े पैमाने पर बनी इस फिल्म में संजय दत्त का खलनायक बल्लू पूरा शो चुरा ले गया।
फिल्म के गानों से लेकर कहानी तक सब पर बल्लू का असर था। दर्शकों ने पहली बार खलनायक के चरित्र को मानवीय रूप में देखा और उसे उतना ही पसंद किया जितना हीरो को किया जाता है।
8. ओमकारा (2006) – लंगड़ा त्यागी
विशाल भारद्वाज की इस फिल्म में सैफ अली खान ने लंगड़ा त्यागी का किरदार इतनी सहजता से निभाया कि वे चर्चा का सबसे बड़ा कारण बन गए।
अजय देवगन जैसे बड़े हीरो के बावजूद इस फिल्म में सैफ का नकारात्मक किरदार ज्यादा डोमिनेट करता दिखा और फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई।
निष्कर्ष
बॉलीवुड की इन फिल्मों ने साबित किया कि हर कहानी हीरो की ताकत पर नहीं, बल्कि विलेन की गहराई पर भी टिकी होती है। एक मजबूत खलनायक पूरी फिल्म की रीढ़ बन सकता है।
दर्शक कई बार हीरो से ज्यादा खलनायक के किरदार को याद रखते हैं। यही वजह है कि ये आठ फिल्में आज भी यादगार मानी जाती हैं और इनके विलेन सिनेमा के इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे।