सरसों तेल आजकल हर घर की जरूरत है, लेकिन इसकी कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव ने आम जनता की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पिछले कुछ महीनों में सरसों तेल के दाम तेजी से बढ़े हैं, जिससे भोजन का बजट प्रभावित हुआ है। खासकर ग्रामीण और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई है। इस कारण सरकार ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक नया ऑर्डर लाने का फैसला किया है, जिसको लेकर आम जनता में उम्मीद जगी है कि इससे कीमतों में स्थिरता आएगी और तेल की उपलब्धता बनी रहेगी।
सरकार के इस नए कदम के पीछे यह मकसद है कि सरसों तेल और अन्य खाद्य तेलों की आपूर्ति और कीमतों पर बेहतर नियंत्रण रखा जाए। आने वाले समय में नया ऑर्डर लागू होने के बाद तेल के उत्पादन, बिक्री, स्टॉक और आयात सब पर डिजिटल निगरानी होगी। इससे न सिर्फ बाजार में तेल की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि ग्राहकों को उचित दाम पर तेल मिल सकेगा। नई व्यवस्था से तेल उद्योग में पारदर्शिता भी बढ़ेगी और मुनाफामारी पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
Mustard Oil Price 2025
सरकार ने 2011 के पुराने वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स रेगुलेशन ऑर्डर (VOPPA) को बदलते हुए 2025 में नया ऑर्डर लाने का निर्णय लिया है। इस नए ऑर्डर का उद्देश्य खाद्य तेल उद्योग में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, तेल के उत्पादन, बिक्री और कीमतों की निगरानी करना है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के अनुसार, अभी तक सरकार को तेल उद्योग की पूरी जानकारी एसोसिएशनों से मिलती रही है, जिससे सही स्थिति समझना मुश्किल हो जाता था। नया ऑर्डर इसे डिजिटल तरीके से सुलझाएगा, जिससे तुरंत और सही आंकड़े मिल पाएंगे।
सरकार की योजना है कि यह नया नियम लागू होने के बाद सभी बड़ी कंपनियों को उत्पादन, बिक्री, स्टॉक और कीमत का डाटा ऑनलाइन साझा करना होगा। इससे सरकार को बाजार में तेल की असली स्थिति पता चलेगी तथा आवश्यकता पड़ने पर नाफेड (राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) और अन्य एजेंसियों के पास मौजूद सरसों के स्टॉक को सही वक्त पर बाजार में जारी किया जा सकेगा। इससे तेल के दामों में झटके को कम किया जा सकेगा और दाम स्थिर रहेंगे।
सरकार ने तेल के आयात पर भी कुछ कस्टम ड्यूटी कम करने का फैसला किया है ताकि वैश्विक बाजार की उतार-चढ़ाव का प्रभाव घरेलू तेल के दामों पर कम पड़े। इसके साथ ही निरीक्षण और निगरानी बढ़ा कर सुनिश्चित किया जाएगा कि यह छूट ग्राहकों तक सही कीमत में पहुंचे। हालांकि, खाद्य तेलों में अभी भी वार्षिक 20 से 30 फीसदी तक महंगाई बनी हुई है, जिसमें सरसों तेल भी शामिल है, लेकिन सरकार की कोशिश है कि कीमतों को जल्दी नियंत्रित किया जाए।
घरेलू उत्पादन और सरकारी योजना
सरसों तेल की कीमतों पर नजर रखने के साथ-साथ सरकार घरेलू उत्पादन को भी बढ़ाने की योजना बना रही है। भारत में सरसों और अन्य तेल वाले बीजों की पैदावार विदेशी देशों के मुकाबले कम है। इसके लिए सरकार ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट, बेहतर खेती की तकनीक और नई किस्मों के विकास पर काम शुरू किया है। इससे उत्पादन बढ़ेगा और तेल की किल्लत कम होगी।
सरकार की योजना में प्रमुख है प्रधानमंत्री तीन धान्य कृषि योजना और राष्ट्रीय खाद्य तेल बीज मिशन जैसी योजनाएँ, जो किसानों को उन्नत बीज, बेहतर तकनीक और सहायता प्रदान करती हैं ताकि सरसों सहित अन्य तेल बीजों की फसल उगाई जा सके। इससे किसानों का उत्पादन बढ़ेगा और देश की तेल आत्मनिर्भरता में इजाफा होगा।
इसके अलावा, सरकार ने नाफेड के माध्यम से भी आधिकारिक स्टॉक बनाए रखे हैं, जिनमें करीब 7 लाख टन सरसों के बीज शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल कीमतों को नियंत्रित करने में किया जाएगा। इसके जरिए बाजार में तेल की कमी को पूरा किया जा सकेगा और भावों को स्थिर रखा जा सकेगा।
सरसों तेल के दामों के उतार-चढ़ाव का कारण
सरसों तेल के दामों में उतार-चढ़ाव के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण मौसम और फसल उत्पादन की स्थिति होती है। यदि फसल अच्छी नहीं होती, तो तेल की कमी हो जाती है और दाम बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, वैश्विक बाजार में अन्य तेलों की कीमतों का प्रभाव भी पड़ता है। जब विदेशों से तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत में भी आयात महंगा हो जाता है, जिससे स्थानीय तेल के दाम बढ़ते हैं।
तेल की मांग और उपभोक्ता की आदतें भी कीमतों पर असर डालती हैं। जब कोई तेल कम उपलब्ध हो या मांग ज्यादा हो, तो दाम स्वतः बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, निर्यात-आयात नीति, कस्टम ड्यूटी में बदलाव और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएं भी कीमतों पर प्रभाव डालती हैं।
सरकार की नई नीति इन सब समस्याओं के समाधान के लिए बनाई गई है, ताकि तेल की आपूर्ति में पारदर्शिता रहे और दामों को असामान्य रूप से नियंत्रित किया जा सके।
नया ऑर्डर कैसे लागू होगा?
सरकार की ओर से 2025 में लाए जाने वाले नए वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स रेगुलेशन ऑर्डर के अंतर्गत सभी तेल उत्पादन और बिक्री से जुड़े उद्यमों को अपने उत्पादन, बिक्री, ताजा स्टॉक और कीमतों की रिपोर्ट समय-समय पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जमा करनी होगी।
यह डेटा सरकार और संबंधित विभागों को वास्तविक समय में तेल की उपलब्धता और कीमतों की जानकारी देगा। इसके आधार पर प्रशासन उचित कदम उठा सकेगा, जैसे ज़रूरत पड़ने पर सरकारी भंडार से तेल जारी करना, आयात नीति में संशोधन करना आदि।
इस तरह से ना केवल उपभोक्ता को उचित और नियंत्रित कीमत पर सरसों तेल मिलेगा, बल्कि बाजार में जमाखोरी, कालाबाज़ारी जैसे गैरकानूनी कृत्यों पर भी रोक लगेगी।
सरकार ने इस योजना से पहले भी खाद्य तेलों की आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अब तकनीकी और डिजिटल गलती कम करने पर अधिक जोर दिया जाएगा।
निष्कर्ष
सरसों तेल के दामों में हो रहे उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने नया डिजिटल और पारदर्शी ऑर्डर लाने का फैसला किया है, जिससे तेल के उत्पादन, बिक्री और कीमतों की निगरानी बेहतर होगी। साथ ही घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात नीति पर नियंत्रण करके तेल की उपलब्धता और दामों को स्थिर करने की कोशिश की जा रही है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलने और बाजार में संतुलन आने की उम्मीद है। यह कदम भारत की खाद्य तेल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।