GST यानी Goods and Services Tax भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जिसे देशभर में 2017 में लागू किया गया था। समय-समय पर सरकार इसमें बदलाव लाती रही है ताकि आम जनता और कारोबारियों पर इसका संतुलित असर पड़े। वर्ष 2025 में सरकार ने GST स्लैब में बड़ा बदलाव किया है, जिससे आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और व्यापार दोनों पर असर देखने को मिलेगा।
नई व्यवस्था में कुछ चीजें महंगी हो जाएंगी तो कुछ चीजों पर टैक्स घटने के कारण वे सस्ती मिलेंगी। इसका मकसद टैक्स स्ट्रक्चर को और सरल बनाना है, ताकि लोगों को ज्यादा दिक्कत न हो और सरकार को सही तरीके से राजस्व मिले। इस बदलाव से आम उपभोक्ता, व्यापारी और उद्योग सभी प्रभावित होंगे।
सरकार का मानना है कि नई GST दरें महंगाई पर काबू पाने के साथ-साथ राजस्व संग्रह को संतुलित करेंगी। इसी वजह से कई आम उपभोग की वस्तुओं पर दरें घटाई गईं, वहीं कुछ लग्ज़री और गैर-जरूरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाया गया। आइए जानते हैं विस्तार से कि नया GST स्लैब क्या है और किन चीजों पर इसका असर हुआ है।
GST New Slab 2025
वर्ष 2025 में GST काउंसिल ने कर ढांचे में कुछ प्रमुख बदलाव किए हैं। पहले चार बड़ी दरें लागू थीं – 5%, 12%, 18% और 28%। अब 12% की कैटेगरी को हटाकर अधिक उत्पादों को 5% और 18% टैक्स स्लैब में समायोजित किया गया है। सरकार का कहना है कि इससे टैक्स स्ट्रक्चर साफ और समझने में आसान होगा।
5% टैक्स स्लैब, क्या हुआ सस्ता?
इस बार सरकार ने रोजमर्रा की ज़रूरत की कई वस्तुओं को 5% स्लैब में रखा है ताकि मध्यम और निम्नवर्गीय परिवारों को राहत मिले। जैसे कि पैकेज्ड खाने-पीने का सामान, कुछ दवाइयाँ, बच्चों का दूध पाउडर और किताबें आदि इस श्रेणी में रखी गई हैं।
ट्रांसपोर्ट सेवाओं और छोटे स्तर के घरेलू उपकरणों को भी 5% GST स्लैब में शामिल किया गया है। इसका सीधा असर यह होगा कि आम ग्राहकों का खर्च थोड़ा कम होगा और जरूरी सामान सस्ते दर पर मिलेगा।
18% टैक्स स्लैब, क्या हुआ महंगा?
12% की कैटेगरी हटने के बाद अब कई उत्पाद 18% स्लैब में आ गए हैं, जिससे वे महंगे हो गए हैं। इनमें मोबाइल फोन, टीवी, वॉशिंग मशीन, किचन अपलायंसेस और तैयार कपड़े शामिल हैं। पहले इनमें से कुछ वस्तुएं 12% टैक्स में आती थीं लेकिन अब ये सीधा 18% पर आ गईं।
इसके अलावा रेस्टोरेंट और होटल इंडस्ट्री में भी ज्यादातर सेवाओं को 18% स्लैब में रखा गया है। यानी बाहर खाने या ठहरने पर पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। वहीं, बैटरी से चलने वाले उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी इस स्लैब में शामिल किए गए हैं।
सरकार का उद्देश्य और असर
सरकार का कहना है कि 12% स्लैब हटाना और सिर्फ 5% व 18% पर ध्यान देना टैक्स सिस्टम को सरल बनाएगा। आम जनता को जरूरी वस्तुएं सस्ती मिलेंगी, जबकि लग्ज़री और गैर-ज़रूरी वस्तुओं पर अधिक टैक्स लगाया जाएगा ताकि राजस्व भी बढ़े।
इससे महंगाई को स्थिर करने में मदद मिलेगी और व्यापारियों को भी टैक्स कैलकुलेशन आसान रहेगा। हालांकि, ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक्स और लग्ज़री सेवाओं पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
व्यापारी और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
व्यापारियों का कहना है कि दो स्लैब की व्यवस्था से कागजी कार्यवाही और हिसाब-किताब में आसानी होगी। लेकिन जिन उद्योगों की वस्तुएं अब 12% से हटकर 18% टैक्स में आ गई हैं, वे कीमतों को लेकर थोड़े चिंतित हैं।
कपड़ा, मोबाइल और घरेलू अपलायंसेस इंडस्ट्री का मानना है कि टैक्स बढ़ने से खरीदारों की क्षमता पर असर पड़ेगा। वहीं जरूरी वस्तुओं के सस्ता होने से FMCG कंपनियों और दवा उद्योग को फायदा मिलने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
GST स्लैब 2025 का यह बदलाव संतुलित दिखाई देता है, जहां जरूरी चीजों को सस्ता और गैर-जरूरी वस्तुओं को महंगा किया गया है। इसका असर हर आम इंसान की जेब और उद्योग के कारोबार पर साफ दिखेगा। आने वाले कुछ महीनों में इस फैसले का वास्तविक असर बाजार और ग्राहकों की प्रतिक्रिया से सामने आएगा।