DAP Urea New Rate 2025: किसानों को बड़ी राहत, सब्सिडी के साथ मिल रहा डीएपी यूरिया

Published On: September 30, 2025
DAP-urea

भारत में खेती करना आज भी लाखों परिवारों का मुख्य आजीविका साधन है। अच्छी फसल के लिए किसानों को उर्वरकों की आवश्यकता होती है, जिनमें डीएपी और यूरिया सबसे महत्वपूर्ण हैं। हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इससे किसानों की खेती लागत भी बढ़ने लगी थी।

सरकार ने किसानों की इन मुश्किलों को समझते हुए 2025 में डीएपी और यूरिया की दरों को नियंत्रित किया है। इसके तहत सीधे सब्सिडी देकर इन उर्वरकों को किसानों के लिए सस्ता और सुलभ बनाया गया है।

डीएपी यूरिया नई दर 2025: राहत और सब्सिडी का लाभ

2025 में सरकार ने डीएपी और यूरिया के लिए सब्सिडी व्यवस्था को और मजबूत किया है। किसानों को डीएपी खाद एक निश्चित रेट यानी 1350 रुपये प्रति 50 किलो बैग पर और यूरिया 266.50 रुपये प्रति बैग पर मिलता है।

यूरिया का एमआरपी लगातार शासकीय नियंत्रण में है, जबकि डीएपी के लिए भी केंद्र ने विशेष पैकेज के तहत सब्सिडी जारी रखी है। सरकार ने 2025 के लिए डीएपी पर प्रति टन 3500 रुपये विशेष अतिरिक्त सब्सिडी दी है। इस कदम से किसानों की लागत में बड़ी राहत दी गई है और उन्हें खाद की कमी का डर नहीं रहता।

कृषि मंत्रालय के अनुसार, बिना सब्सिडी डीएपी बैग की कीमत 4000 रुपये तक हो सकती थी, लेकिन अब यह किसान को सस्ती दर पर उपलब्ध है। सरकार अंतरराष्ट्रीय महंगे दामों पर खाद खरीदकर, कंपनियों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए सब्सिडी देती है, जिससे हर किसान को एक ही निर्धारित मूल्य पर खाद मिल सके।

डीएपी यूरिया नई दर 2025 योजना – एक नज़र (टेबिल)

योजना विशेषताविवरण
लागू वर्ष2025
डीएपी का एमआरपी1350 रुपये प्रति 50 किलो बैग 
यूरिया का एमआरपी242 रुपये प्रति 45 किलो बैग 
डीएपी पर विशेष सब्सिडी3500 रुपये प्रति टन 
सब्सिडी प्रणालीडीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) 
लागू मंत्रालयउर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार 
समर्थनसांविधिक नोटिफिकेशन और कैबिनेट स्वीकृति 
उपलब्धतासभी राज्यों व सहकारी केंद्रों पर 

किसानों के लिए प्रमुख फायदे

  • खाद सस्ती कीमत पर उपलब्ध: किसानों को महंगे बाजार भाव से राहत।
  • खेती लागत में कमी: उर्वरक सस्ते होने से उत्पादन लागत कम।
  • फसल उत्पादन में बढ़ोतरी: फसल की उपज और गुणवत्ता में सुधार।
  • राष्ट्रीय खाद सब्सिडी योजना: पारदर्शी और सीधी सब्सिडी व्यवस्था।
  • कड़क निगरानी: कालाबाजारी, स्टॉकिंग और ओवर प्राइसिंग के विरुद्ध कार्रवाई।

डीएपी यूरिया सब्सिडी 2025: कैसे मिलेगी राहत?

सरकार खाद कंपनियों को डीएपी और यूरिया पर सीधी सब्सिडी देती है। किसानों की सुविधा के लिए यह व्यवस्था की गई है कि किसी भी राज्य के किसान को मनमानी कीमत भुगतान न करना पड़े।

इसके लिए बिक्री केंद्र, सहकारी समितियों और अधिकृत डीलरों पर एमआरपी साफ-साफ अंकित करना अनिवार्य है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ मिलकर सुनिश्चित करती है कि किसानों तक खाद समय से और उचित दाम पर पहुंचे।

डीएपी यूरिया नई दर 2025: सरकार द्वारा उठाए गए अतिरिक्त कदम

  • इंस्पेक्शन एवं छापे: कालाबाजारी रोकने को पूरे देश में निरीक्षण और छापेमारी होती है।
  • लाइसेंस कार्रवाई: नियम उल्लंघन पर लाइसेंस निलंबित/रद्द किए जाते हैं।
  • फर्टिलाइजर सप्लाई: पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध रखने के लक्ष्य।
  • ड्रोन स्प्रे पर प्रोत्साहन: नैनो यूरिया व डीएपी के छिड़काव पर भी सब्सिडी।

डीएपी यूरिया के नए रेट 2025: कुछ जरूरी बातें

  • सरकारी सब्सिडी की वजह से डीएपी बाजार के मुकाबले एक-तिहाई कीमत पर मिल रहा है।
  • किसानों के लिए 45 किलो यूरिया बैग 242 रुपये और डीएपी 1350 रुपये प्रति 50 किलो बैग में मिल रहा है।
  • डीबीटी सिस्टम से यह सब्सिडी सीधे मिलती है – कोई पेचीदगी नहीं।
  • सरकार हर महीने उपलब्धता और कीमतों पर निगरानी रखती है।
  • उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रत्येक प्रक्रिया की मॉनिटरिंग की जाती है।
  • कालाबाजारी व ओवर प्राइसिंग पर कड़ी कार्रवाई तेज कर दी गई है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. डीएपी और यूरिया नई दर 2025 कब से लागू हुई?
    • जनवरी 2025 से, सरकार ने इसकी घोषणा की है।
  2. किसान कितनी मात्रा तक खाद ले सकते हैं?
    • राज्य सरकार की निर्धारित नियमावली व जरूरत अनुसार।
  3. क्या सभी राज्यों में नई दरें हैं?
    • हाँ, पूरे देश में केंद्र सरकार द्वारा लागू।
  4. कालाबाजारी या ओवर प्राइसिंग की शिकायत कहां करें?
    • जिला कृषि कार्यालय या स्थानीय सहकारी समिति में।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

Leave a comment

Join WhatsApp