GST Petrol Diesel Rate 2025: 18% टैक्स स्लैब में बदलाव या 10 लाख लोगों को नई राहत मिलेगी

Published On: September 30, 2025
GST Petrol Diesel Rate 2025

पिछले कुछ समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा देशवासियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर व्यापार और ट्रांसपोर्ट तक, हर क्षेत्र पर इन ईंधनों की महंगी दरों का सीधा असर देखने को मिलता है। आम आदमी के लिए परिवहन महंगा होना, महंगाई दर में वृद्धि और उत्पादन लागत का बढ़ना जैसी समस्याएं सामने आती रहीं। ऐसे में, सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल को अब जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के दायरे में लाने का ऐलान, देशभर में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।

जैसे ही जीएसटी के लागू होने की घोषणा हुई, बाजार में हलचल मच गई। पेट्रोल-डीजल के दामों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जीएसटी के तहत इन ईंधनों के दाम कैसे नियंत्रित हुए और इससे आम जनता, व्यवसाय और सरकार को क्या-क्या लाभ और असर होंगे?

GST Petrol Diesel Rate 2025

पेट्रोल और डीजल पर लंबे समय से केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर वैट (वैल्यु एडेड टैक्स), एक्साइज ड्यूटी और अन्य कर वसूलती आई हैं। इस वजह से कभी-कभी एक ही पेट्रोल पंप पर, अलग-अलग राज्यों में कीमतों में भारी अंतर देखने को मिलता था। जीएसटी लागू होने के बाद सरकार ने यह तय किया है कि एक समान टैक्स ढांचे के तहत देशभर में पेट्रोल-डीजल की एक जैसी कीमतें होंगी।

इसके लिए पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाया गया है, जहां इन उत्पादों पर 18% स्लैब के अंतर्गत टैक्स लगने लगा है। जीएसटी के लागू होते ही सभी अतिरिक्त टैक्स खत्म हो गए, जिससे पेट्रोल-डीजल के दामों में सीधे 25-30% तक की गिरावट आई।

इससे पहले पेट्रोल और डीजल पर कुल टैक्स 50% से भी ज्यादा पहुंच जाता था, जिसमें केंद्र और राज्य का हिस्सा जुड़ा होता था। लेकिन अब जीएसटी के कारण टैक्स बोझ काफी कम हो गया है और ग्राहकों को सीधा फायदा मिल रहा है।

जीएसटी एंट्री के बाद देशभर में दाम

जीएसटी के बाद पेट्रोल और डीजल की दरें हर राज्य में लगभग एक जैसी हो गई हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई से लेकर लखनऊ और भोपाल तक – अब सभी स्थानों पर कीमतों में कोई बड़ा अंतर नहीं है। इससे अब ट्रांसपोर्ट कारोबार को सबसे बड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि ट्रक और सार्वजनिक परिवहन संचालकों को अब दाम अंतर की चिंता नहीं होगी।

यदि पहले किसी राज्य में पेट्रोल का दाम ₹110 था और दूसरे राज्य में ₹98, तो अब जीएसटी के लागू होते ही देशभर में यह दाम ₹80-85 के बीच समान हो गया है। इससे सरकार को भी टैक्स की चोरी और राज्यों के बीच कर विवाद जैसी दिक्कतों से मुक्ति मिलेगी।

आम जनता और कारोबार पर असर

सबसे बड़ा असर आम जनता पर पड़ा है। पेट्रोल-डीजल के सस्ते होते ही बस किराए, टैक्सी, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेवाएं भी सस्ती हो जाएंगी। जब परिवहन का खर्च घटेगा, तो मार्केट में खाने-पीने की चीजें, कच्चा माल, सब्जियां, फल, दूध समेत अन्य जरूरी सामान के दाम भी कम होंगे।

कारोबारियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। उद्योग जगत में ट्रांसपोर्टेशन पर भारी लागत लगती है। लागत कम होने से उत्पाद सस्ते होंगे और उनका कारोबार भी बढ़ेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

सरकार के फायदे और टैक्स कलेक्शन

जब केंद्र और राज्य दोनों सरकारें जीएसटी के तहत टैक्स वसूलती हैं, तो टैक्स संग्रहण में पारदर्शिता आती है। पहले अलग-अलग टैक्स की वजह से सरकारी खजाने में असंतुलन और विवाद होता था। जीएसटी के तहत केंद्र और राज्य बराबरी से टैक्स बांट सकते हैं, जिससे विकास कार्यों के लिए बजट प्रबंधन आसान होगा।

इसके अलावा, कर संग्रह ऑटोमैटिक और रिकॉर्डेड होता है, जिससे टैक्स चोरी की संभावना भी खत्म होगी। पूरी प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफार्म से चलेगी, जिससे आम जनता के साथ कारोबारियों का भी जीवन आसान होगा।

जीएसटी के तहत मिलने वाली राहतें

जीएसटी के तहत टैक्स की एकरूपता का सबसे बड़ा फायदा यही है कि ग्राहक का लागत कम हो गई है। सरकार ने पेट्रोल-डीजल को 18% जीएसटी स्लैब में रखा है। इससे अन्य उपकर, सेस, वेट और सर्विस टैक्स हट गए हैं।

इसी आधार पर, यदि कोई ग्राहक रोज 10 लीटर पेट्रोल इस्तेमाल करता है, तो एक महीने में उसे ₹2,000-₹3,000 की सीधी बचत हो सकती है। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में यह राहत लाखों-करोड़ों तक पहुंच सकती है।

किनको मिलेगा ज्यादा फायदा?

ट्रांसपोर्ट सेक्टर, टैक्सी चालक, सार्वजनिक परिवहन, ई-रिक्शा, बस ऑपरेटर्स से लेकर सभी ऐसे काम जिनमें ईंधन मुख्य भूमिका निभाता है, उन सभी को जीएसटी एप्लाई होने के बाद बहुत राहत मिली है।

ग्रामीण इलाकों में किसानों, ट्रैक्टर चालकों और फसलों के परिवहन में इस्तेमाल होने वाली डीजल की बड़ी खपत है। उनके खर्च में भी भारी कमी आई है।

देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव

ईंधन सस्ता होते ही लॉजिस्टिक्स, एक्सप्रेस और कोरियर सेक्टर को नया बूस्ट मिलेगा। निर्यात के साथ-साथ घरेलू मार्केट के उत्पाद भी सस्ते होंगे। देश का GDP ग्रोथ रेट भी बढ़ेगा और रोजगार के मौके खुल सकते हैं।

सरकार अब पेट्रोलियम टैक्स से मिलने वाले राजस्व में कमी का आकलन कर रही है, लेकिन लॉन्ग टर्म में कारोबार के बढ़ने से टैक्स कलेक्शन अपने आप बढ़ेगा।

कमी का कारण

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से सबसे बड़ा फर्क टैक्स ढांचे में बदलाव की वजह से हुआ है। इससे पारदर्शिता और टैक्स में कॉम्पिटिशन भी घट गया है।

राज्यों की टैक्स दरें एक होने की वजह से अब वहां कोई अलग सिस्टम लागू नहीं करना पड़ेगा। इससे पूरे देश में कीमतों की स्थिरता बनी रहेगी और व्यापार को गति मिलेगी।

जीएसटी का गणना उदाहरण

मान लीजिए, किसी राज्य में पेट्रोल का प्राइस अभी तक ₹100 है, जिसमें 25% केंद्र का एक्साइज, 20% राज्य का वेट और 5% अन्य टैक्स शामिल थे। कुल मिलाकर उपभोक्ता को ₹150 तक देना पड़ता था।

अब अगर पेट्रोल ₹100 के मूल्य पर 18% जीएसटी लगेगी, तो कुल लागत मात्र ₹118 होगी। यानी सीधे तौर पर 21% से भी ज्यादा की कमी।

निष्कर्ष

जीएसटी लागू होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई जबरदस्त गिरावट ने हर वर्ग के लोगों को राहत पहुंचाई है। सरकार, कारोबार और आम नागरिक – सभी को इससे फायदा हुआ है। ईंधन पर टैक्स का सरल और पारदर्शी सिस्टम देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दे रहा है। आगे चलकर इसका असर हर क्षेत्र में देखने को मिलेगा।

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