हर साल शारदीय नवरात्रि के दौरान दुर्गा अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है। देवी मां के नौ रूपों की पूजा का यह पावन पर्व समृद्धि, शक्ति और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। वर्ष 2025 में दुर्गा अष्टमी और नवमी को लेकर लोगों में उत्सुकता है कि इस बार ये पर्व किस दिन पड़ेंगे और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
अष्टमी और नवमी पर लोग खासतौर पर देवी महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। इन दिनों पूजा-अर्चना, व्रत, हवन, कन्या पूजन और भोज के आयोजन होते हैं। देशभर में लाखों श्रद्धालु माता रानी के दरबार में मनोकामनाएं लेकर आते हैं। देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए लोग विधिपूर्वक कन्या पूजन करते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
दुर्गा अष्टमी 2025: मुख्य जानकारी
दुर्गा अष्टमी 2025 में शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजन विधि को लेकर सरकारी कैलेंडरों और पंचांगों में स्पष्ट जानकारी दी जाती है। भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय और धार्मिक नगरीयों की प्रशासनिक वेबसाइट्स समय-समय पर इसके सही तिथि और समय की जानकारी प्रसारित करती हैं।
इस साल दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि और कन्या पूजन का खास महत्व है, क्योंकि कई बार नवमी और अष्टमी एक ही दिन भी पड़ जाती हैं। लोग इस बार धार्मिक नियमों के अनुसार सही समय पर पूजा करना चाहते हैं ताकि उनका व्रत और संकल्प पूरा हो सके।
दुर्गा अष्टमी और नवमी 2025 की तारीखें
- दुर्गा अष्टमी तिथि: 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
- दुर्गा नवमी तिथि: 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
- कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: 1 अक्टूबर 2025, प्रातः 08:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक (राज्य/स्थानीय समय के अनुसार अंतर हो सकता है)
- अष्टमी हवन/पूजन: अष्टमी के दिन ही प्रातः करें
इन तिथियों और समयों की पुष्टि भारतीय पंचांग, धार्मिक विभाग व संस्कृति मंत्रालय जैसे सरकारी स्रोतों से की गई है।
दुर्गा अष्टमी 2025 का संक्षिप्त विवरण (योजना का अवलोकन)
विवरण | जानकारी |
पर्व का नाम | दुर्गा अष्टमी 2025 |
अष्टमी तिथि | 1 अक्टूबर 2025 |
नवमी तिथि | 2 अक्टूबर 2025 |
कन्या पूजन मुहूर्त | 1 अक्टूबर 2025, 08:00 AM से 12:30 PM |
पूजा का महत्व | शक्ति स्वरूपा देवी पूजन, कन्या पूजन, हवन |
प्रमुख पूजन विधि | देवी महागौरी और सिद्धिदात्री पूजन, कन्याओं का पूजन |
मुख्य धार्मिक कार्य | हवन, व्रत, कन्याओं को भोजन एवं दक्षिणा देना |
स्रोत | भारत सरकार की पंचांग व अधिकारिक धार्मिक पोर्टल |
दुर्गा अष्टमी और नवमी: महत्व
दुर्गा अष्टमी को महाअष्टमी भी कहा जाता है, और इस दिन को शक्ति पूजा का मुख्य दिन माना जाता है। लाखों लोग उपवास रखते हैं। नवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जिसे नवदुर्गा का अंतिम स्वरूप माना जाता है।
अष्टमी-नवमी दोनों ही तिथियों पर लोग कन्या पूजन और हवन करते हैं। इस दिन देवी के नौ रूपों की प्रतीक नौ कन्याओं को आदर सहित नवें स्वरूप रूप में भोजन कराया जाता है। कन्या पूजन करने से देवी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कन्या पूजन विधि व महत्व
- सबसे पहले घर को साफ-सुथरा करें और पूजा स्थल सजाएं।
- कलश स्थापना और मां दुर्गा की मूर्ति/फोटो की स्थापना करें।
- कन्याओं को आमंत्रित करें, उनके पैर धोएं और आसन पर बैठाएं।
- उन्हें हलवा-पूरी, चने, फल या अन्य पवित्र प्रसाद खिलाएं।
- कन्याओं को उपहार व दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें।
कन्या पूजन करने से पुराने कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। माता रानी विशेष कृपा देती हैं।
अष्टमी-नवमी पूजन में जरूरी बातें
- व्रतधारी व भक्तजन पूजा विधि का पालन करें।
- पूजा की सभी सामग्री जैसे फल, फूल, दीपक, नारियल आदि पहले से तैयार रखें।
- पूजा पूरी श्रद्धा और नियम से करें।
- संभव हो तो माता के भजन या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
अष्टमी-नवमी पर बरतें सावधानियां
- कोरोना या अन्य स्वास्थ्य नियमों का पालन जरूर करें।
- सार्वजनिक स्थलों पर अत्याधिक भीड़ से बचें।
- कन्याओं का सम्मानपूर्वक सत्कार करें।
दुर्गा अष्टमी-नवमी 2025: महत्वपूर्ण बिंदु (बुलेट लिस्ट)
- अष्टमी-नवमी नवरात्रि का सबसे खास पर्व है।
- पूजा का समय भारतीय पंचांग के मुताबिक ही चुने।
- कन्या पूजन को लेकर समाज में उत्साह रहता है।
- कई इलाके में अष्टमी-नवमी एक ही दिन भी मनाई जा सकती है।
- सरकारी छुट्टियों की जानकारी क्षेत्रीय वेबसाइट्स से चेक करें।
- धार्मिक विधि-विधान का पालन करना शुभ रहता है।
सरकारी कैलेंडर से प्राप्त मुख्य तथ्य
दुर्गा पूजा से जुड़ी सभी प्रमुख तिथियां और मुहूर्त भारतीय पंचांग, सांस्कृतिक मंत्रालय, व स्थानीय प्रशासन के अधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध हैं। हर साल वहां पूजा और कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त जारी किए जाते हैं। 2025 के लिए प्राप्त जानकारी के अनुसार, अष्टमी 1 अक्टूबर और नवमी 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।