DAP Urea New Rate 2025: 1350 रुपये में मिलेगा, किसानों की खुशियों का सपना होगा सच

Published On: September 21, 2025
DAP Urea New Rate 2025

भारत सरकार ने अपने किसानों के लिए खाद्य पदार्थों की किफायती उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इसके तहत DAP (डी-अमोनियम फास्फेट) यूरिया की नई दरों को संशोधित किया गया है, जिससे किसानों को बेहतर कीमतों पर खाद उपलब्ध हो सके। इस खबर से किसानों के चेहरे पर खुशहाली आई है क्योंकि ये नई दरें सब्सिडी के साथ लागू की जा रही हैं, जिससे उनकी खेती की लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।

यह योजना विशेष रूप से उन किसानों को ध्यान में रखकर बनाई गई है जो कृषि के जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं। सरकार ने सब्सिडी नीति के तहत यूरिया और डीएपी जैसे उर्वरकों की कीमतों को नियंत्रित किया है ताकि वे सस्ते और उपलब्ध रहें। इस लेख में डीएपी यूरिया की नई दर, इसके तहत मिलने वाली सब्सिडी और इससे किसानों को मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

DAP Urea New Rate 2025

डीएपी (डी-अमोनियम फास्फेट) यूरिया एक महत्वपूर्ण फॉस्फेट युक्त उर्वरक है जो जमीन की उर्वरता बनाए रखने में मदद करता है। इसे किसानों तक उचित कीमत पर पहुँचाने के लिए सरकार ने नई दरें तय की हैं। वर्तमान में, एक 50 किलोग्राम बैग डीएपी की कीमत 1,350 रुपये तय की गई है, जिसमें सरकार सब्सिडी भी प्रदान कर रही है। वहीं, यूरिया का 50 किलोग्राम बैग 268 रुपये में किसानों को मिल रहा है।

सरकार की यह सब्सिडी नीति किसानों को खाद की महंगाई से बचाने के लिए है। अगर बाजार कीमत की बात करें तो यूरिया और डीएपी दोनों की कीमतें सब्सिडी हटने के बाद बहुत ज्यादा बढ़ सकती हैं। लेकिन सरकार की ओर से यह सब्सिडी जारी रहने से किसानों को उत्पादन के लिए आवश्यक खाद सस्ती दरों पर मिलती है। यह नई कीमतें खासतौर पर खरीफ 2025 सीजन के लिए लागू की गई हैं।

सरकार की योजना के तहत, डीएपी और यूरिया सहित अन्य उर्वरकों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए न्यूट्रियंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) स्कीम लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य उर्वरकों का उचित वितरण और किसानों को समय पर सब्सिडी देना है। सरकार हर साल या दो साल में इस योजना के अंतर्गत सब्सिडी की दरों को अपडेट करती है ताकि किसानों को सबसे अच्छा लाभ मिल सके।

सरकार की सब्सिडी स्कीम और लाभ

न्यूट्रियंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) योजना 1 अप्रैल 2010 से लागू है, जिसमें फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों जैसे डीएपी, MOP आदि पर निश्चित सब्सिडी दी जाती है। इससे किसानों को उर्वरक बाजार मूल्य से कम कीमत में मिलते हैं जिससे उनकी खेती की लागत सीधे कम हो जाती है।

सरकार ने 2025 के खरीफ सीजन के लिए कुल 37,216.15 करोड़ रुपये की सब्सिडी राशि आवंटित की है, जो पिछले रबी सीजन की तुलना में लगभग 13,000 करोड़ रुपये अधिक है। इस बजट से किसानों को सब्सिडी वाले कीमतों पर खाद उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया गया है, ताकि खाद की कोई कमी न हो और उत्पादन बढ़ाने में किसानों को मदद मिले।

सब्सिडी के माध्यम से किसान डीएपी की 50 किलोग्राम बैग जो कि बाजार में 4,300 रुपये से अधिक हो सकती है, उसे महज 1,350 रुपये में खरीद सकेंगे। इसी तरह यूरिया की भी कीमत सरकार की सब्सिडी से बहुत कम होती है। इस तरह की योजनाएं किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक खाद आसानी से उपलब्ध कराती हैं।

सरकार के खाद प्रबंधन विभाग के अनुसार, सब्सिडी निरंतर उपलब्ध रहने से खादों की किल्लत नहीं होती। यह योजना कृषि क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने और किसानों की आर्थिक मदद करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

इस योजना के माध्यम से किसानों को क्या सुविधा मिलती है?

सबसे बड़ी सुविधा यह है कि किसानों को यूरिया और डीएपी जैसे जरूरी उर्वरकों को कम कीमत में उपलब्ध कराया जाता है। इससे फसल की लागत घटती है और किसानों को ज्यादा लाभ होता है। इसके अलावा, सरकार के सब्सिडी प्रावधान के तहत, राष्ट्रीय स्तर पर खाद का भंडारण और वितरण व्यवस्थित होता है, जिससे कोई असमय काल में खाद की कमी नहीं होती।

इस योजना से किसानों को केवल सस्ती कीमत पर खाद मिलती ही नहीं, बल्कि खाद की गुणवत्ता पर भी नियंत्रण रहता है। चूंकि सरकार इस पर नजर रखती है, इसलिए खाद अच्छी गुणवत्ता का ही बाजार में उपलब्ध होता है। इससे फसल उत्पादन में सुधार होता है और किसानों की आय बढ़ती है।

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसानों को खाद खरीदने के लिए किसी तरह का अतिरिक्त दबाव या झंझट न झेलना पड़े। इसके लिए सरकार समय-समय पर वितरण केन्द्रों को मॉनिटर करती है और बाजार में खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।

खाद कैसे प्राप्त करें और आवेदन प्रक्रिया

इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को ज्यादा जटिल प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता। वे अपने नजदीकी उर्वरक विक्रेता से सब्सिडी के साथ यूरिया और डीएपी खरीद सकते हैं। सरकार की सब्सिडी स्कीम के तहत उपलब्ध इस खाद की कीमत मार्केट प्राइस से काफी कम होती है।

किसानों को जरूरत के मुताबिक खाद खरीदने के लिए आधार कार्ड या किसान पहचान पत्र जैसा कोई वैध दस्तावेज दिखाना पड़ सकता है। कुछ राज्यों में किसान मोबाइल एप्लिकेशन या ऑनलाइन पोर्टल के जरिए भी खाद की खरीद और उपलब्धता की जांच कर सकते हैं।

सरकार के प्रयत्नों से खाद की आपूर्ति में पारदर्शिता और सुविधा बढ़ी है ताकि किसानों को खाद समय पर और सस्ते दामों पर मिले। खरीद प्रक्रिया आसान बनाई गई है जिससे कृषि कार्यों में बाधा न आए।

निष्कर्ष

सरकार द्वारा लागू की गई डीएपी यूरिया नई दर और सब्सिडी योजना किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है। इससे किसानों की लागत कम होती है और वे बेहतर उत्पादन कर सकते हैं। सरकार की यह पहल कृषि को सशक्त बनाने और देश के किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

यह योजना सुनिश्चित करती है कि खाद की कमी न हो और किसान समय पर आवश्यक खाद उपलब्ध कर सकें। ऐसे सकारात्मक कदम से देश की कृषि व्यवस्था और किसानों का भविष्य मजबूत होता है।

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