ये हैं भारतीय इतिहास के वो 5 गद्दार राजा, जिन्होंने विदेशियों के लिए खोल दिए थे दरवाजे

Published On: September 26, 2025
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भारतीय इतिहास अनेक वीरों और महान शासकों की गाथाओं से भरा हुआ है। किन्तु इतिहास में कुछ ऐसे राजा भी रहे, जिन्होंने अपनी स्वार्थ भावना और लालच की वजह से देश के विरुद्ध गद्दारी की। इन गद्दारों ने विदेशी आक्रमणकारियों के लिए भारत के द्वार खोल दिए और देश की स्वतंत्रता को भारी संकट में डाल दिया। जब भी भारत की गुलामी और विदेशी आक्रमण की बात आती है तो इन राजाओं के नाम इतिहास के काले पन्नों में लिखे जाते हैं।

ये गद्दार राजा न केवल अपने ही देश के राजा और सेनाओं से लड़ाई करते थे, बल्कि विदेशी आक्रांताओं का साथ देकर भारत की स्वतंत्रता को खतरे में डाल देते थे। उनके इस कृत्य के कारण भारत कई वर्षों तक विदेशी शक्तियों के अधीन रहा। इस लेख में हम ऐसे पांच प्रमुख गद्दार राजा जिनके कारण भारत की आज़ादी छीन गई, उनके बारे में चर्चा करेंगे।

भारतीय इतिहास के गद्दार राजा – जिन्होंने विदेशी आक्रमण के दरवाजे खोले

भारतीय इतिहास में कई ऐसे राजा हुए जिन्होंने अपने स्वार्थ की खातिर विदेशी आक्रमणकारियों का साथ दिया। इन सबसे बड़े गद्दारों की सूची में कई नाम आज भी याद किए जाते हैं। यहां उन पांच प्रमुख गद्दारों का परिचय और उनका योगदान बताया गया है:

राजा का नामराज्य/क्षेत्रगद्दारी का तरीकाविदेशी साथपरिणाम
राजा जयचंदकन्नौजमोहम्मद गौरी के साथ गठबंधनमोहम्मद गौरीपृथ्वीराज चौहान की हार, भारत में मुस्लिम हमला बढ़ा
महाराजा नरेंद्र सिंहपटियाला1857 की क्रांति में अंग्रेजों का समर्थनअंग्रेज़सिख विद्रोह दबा, अंग्रेजों की सहायता
राजा आभ्भीराजपौरव प्रदेशपोरस के खिलाफ आलक्षेन्द्र का साथआलक्षेन्द्रपोरस की सेना कमजोर हुई
जयाजी राव सिंधियामराठा राष्ट्रअंग्रेजों का साथअंग्रेज़अंग्रेजी हुकूमत मजबूत हुई
अम्भी कुमारतक्षशिलासिकंदर महान के साथ सहयोगसिकंदरविदेशी आक्रमण का मार्ग प्रशस्त

जयचंद: भारत का सबसे कुख्यात गद्दार

राजा जयचंद कन्नौज के शासक थे। उनका प्रमुख कारण था पृथ्वीराज चौहान के साथ उनकी दुश्मनी। जब मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया, तब जयचंद ने गौरी की सहायता की। उन्होंने न केवल गौरी को सैन्य सहयोग दिया बल्कि स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े योद्धा पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ हो गए। जयचंद की गद्दारी के कारण मोहम्मद गौरी को भारत में प्रवेश का रास्ता मिला और यही वजह बनी पृथ्वीराज चौहान की हार की।

महाराजा नरेंद्र सिंह और 1857 की क्रांति में गद्दारी

1857 की क्रांति के दौरान पटियाला के महाराजा नरेंद्र सिंह ने सिखों के विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों का सहयोग दिया। उन्होंने अंग्रेजों को सैनिक और अन्य सहायता प्रदान की जिससे विद्रोह को कुचलने में मदद मिली। उनके इस कदम ने क्रांति की सफलतम उम्मीदों को खत्म कर दिया।

राजा आभ्भीराज का गद्दारी यवन पोरस के विरुद्ध

राजा आभ्भीराज पौरव प्रदेश के राजा थे। उन्हें पोरस से ईर्ष्या थी। इसलिए उन्होंने पोरस के खिलाफ आलक्षेन्द्र (सिकंदर के सेनापति) का साथ दिया और युद्ध में उनकी मदद की। उनकी गद्दारी के कारण पोरस की सेना कमजोर हुई और सिकंदर को भारत पर विजय प्राप्त करने में मदद मिली।

जयाजी राव सिंधिया का अंग्रेजों के साथ गठजोड़

मराठा साम्राज्य के प्रमुख सेनापति जयाजी राव सिंधिया ने अंग्रेजों के साथ मिलकर अपने लोगों और स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ काम किया। उनकी सहायता से अंग्रेजों ने मराठा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की। वह ब्रिटिशों से नाइट्स ग्रैंड कमांडर का खिताब भी प्राप्त कर चुके थे।

अम्भी कुमार: तक्षशिला के राजा और सिकंदर के सहयोगी

अम्भी कुमार ने जब सिकंदर महान भारत पर आक्रमण करने आया तो उसने सिकंदर का साथ दिया। उसने सिकंदर को न केवल मार्गदर्शन किया बल्कि भारतीय सेना के खिलाफ युद्ध में भी सहायता प्रदान की। यही वजह है कि कुछ इतिहासकार उन्हें भारत का पहला गद्दार राजा मानते हैं।

गद्दारी का इतिहास और इसके प्रभाव

इन गद्दारों ने भले ही तत्काल लाभ के लिए विदेशी आक्रमणकारियों का साथ दिया, लेकिन इस गद्दारी के परिणाम स्वरूप भारत को लगभग दो सौ वर्षों तक विदेशी शासन झेलना पड़ा। उनकी गद्दारी से न केवल राज्यवादी राजाओं के बीच लड़ाई बढ़ी, बल्कि विदेशी शक्तियों को भारत के संसाधनों और जनता तक पहुंच भी मिली।

भारत के पांच सबसे बड़े गद्दार राजा – सारांश

राजा का नामप्रमुख गद्दारी का कारणविदेशी दलप्रमुख परिणाम
जयचंदपृथ्वीराज चौहान से दुश्मनीमोहम्मद गौरीदिल्ली पर मुस्लिम शासन
महाराजा नरेंद्र सिंह1857 के विद्रोह का दमनब्रिटिश1857 की क्रांति की विफलता
राजा आभ्भीराजपोरस से ईर्ष्यासिकंदर महानसिकंदर की विजय
जयाजी राव सिंधियामराठों में सत्ता संघर्षअंग्रेज़ब्रिटिश हुकूमत की मजबूती
अम्भी कुमारसिकंदर के साथ गठबंधनसिकंदर महानविदेशी आक्रमण का मार्ग प्रशस्त

इन गद्दारों की कथाएं हमें इतिहास के कड़वे सच से अवगत कराती हैं। यह समझना आवश्यक है कि उनकी स्वार्थपरता ने पूरे देश को विदेशी शासन के अधीन कर दिया।

Disclaimer:

यह लेख इतिहास आधारित है और सरकारी ऐतिहासिक दस्तावेजों तथा विश्वसनीय सरकारी स्रोतों पर आधारित है। यह एक शैक्षिक और सूचना उद्देश्य के लिए प्रस्तुत किया गया है। इन तथ्यों में समय के साथ इतिहासकारों द्वारा विचारधारात्मक बदलाव हो सकते हैं। किसी भी योजना, समाचार या अफवाह से जुड़े सत्यापन के लिए आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों या विश्वसनीय सरकारी संसाधनों से जांच अवश्य करें।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

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